2 अक्टूबर पर भाषण-speech on 2 october
महात्मा गाँधी जी पर भाषण
जैसा की हम सभी जानते है की हम सभी आज गाँधी जयंती के उपलक्ष्य पर यहाँ एकत्रित हुए है आज में आपको गाँधी जी की बारे में कुछ कहना चाहता हूँ|
सम्मानीय प्रधानाचार्य जी,शिक्षक गण और मेरे प्यारे मित्रो आज 2 अक्टूबर है और आज के ही दिन हमारे राष्ट्रपिता गाँधी जी का जन्म हुआ है और इसीलिए हम आज 2 अक्टूबर के दिन गाँधी जयंती प्रतिवर्ष मनाते है|
महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है जिन्हे हम राष्ट्रपिता या बापू इत्यादि नामों से सम्बोधित करते है| बापू का जन्म गुजरात के पोरबंदर नामक एक छोटे से कस्बे में 2 अक्टूबर 1869 के दिन हुआ| उनके पिताजी का नाम करमचंद गाँधी और माता का नाम पुतलीबाई था| जब बापू ने अपनी उच्चतर शिक्षा पूर्ण की तो वे आगे वकील बनना चाहते थे इस हेतु कानून के क्षेत्र में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वे 1888 के दौरान इंग्लॅण्ड चले जाते है| चार वर्षो के कठिन संघर्ष और अध्ययन के बाद वे 1891 ईस्वी में पुनः भारत लौटते है|
बापू अहिंसक प्रवृति के थे इसी वजह से हम इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाते है| बापू हमेशा शांति,सत्य और अहिंसा के प्रतीक के रूप में याद रखे जायेंगे| बापू ने अपनी आत्मकथा "आत्मा के साथ मेरे प्रयोग" में अपने जीवन के इतिहास को बहुत संघर्ष पूर्ण बताया है इन्होने अपने जीवन पर्यन्त आजादी के ब्रिटिश शासन के खिलाफ बड़े ही धैर्य,साहस और अहिंसक लड़ाई लड़ी|
वे सादा जीवन और उच्च विचार रखते थे वे धूम्रपान,मादक पेय पदार्थ,मांस,अस्पृश्ता आदि के सख्त थे| उन्हें आजादी की लड़ाई में कई बार गिरफ्तार किया गया कई बार जेल भेजा गया| लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी वे सभी धर्मो में एकता चाहते थे परन्तु अंग्रेजी ने फूट डालो राज करो की नीति अपनायी जिसका इन्होने विरोध किया|
movements:-
हमारे देश के राष्ट्रपिता कहे जाने के पीछे हमारे देश की आजादी में उनके द्वारा दिए गए अतुलनीय योगदान को ही देखा जाता है| उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह में भी हिस्सा लिया और दक्षिण अफ्रीका में गोरे काले के भेदभाव को समाप्त कर वहाँ भी सद्भाव की नींव डाली| महात्मा गांधीजी दक्षिण अफ्रीका की यात्रा कर यात्रा कर 1915 मे लौटे| तब इन्होने भारत आते ही यहाँ भी सत्याग्रह शुरू किया| इन्होने क्रमशः असहयोग आंदोलन,नमक यात्रा,सविनय अविज्ञा आंदोलन,भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किये जिनमे इनको भारतीय जनता का जनता का काफी समर्थन मिला जिससे हमारे देश की आजादी की यात्रा को और गति मिली|
अंततः 15 अगस्त 1947 की देश को स्वतंत्र कराने में गाँधी जी सफल हुए| ऐसे बहुमूल्य महान क्रांतिकारी की 30 जनवरी 1948 को एक हिन्दू कार्यकर्त्ता नाथूराम गोडसे द्वारा हत्या कर दी गयी| उन्होंने हमारे देश समाज के लिए जो कुछ किया है और जो हमारे लिए किया है उसकी सराहना सभी करते है और आगे भी करते रहेंगे|
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